महंगाई में आटा गीला! सरकार ने कहा- इस साल अबतक 22% महंगा हुआ गेहूं, इस वजह से बढ़ी कीमतें
Wheat prices: देश भर में गेहूं का औसत थोक मूल्य नवंबर में 22% बढ़कर 2,721 रुपये प्रति क्विंटल हो गया. इस साल जनवरी में यह 2,228 रुपये प्रति क्विंटल था. बता दें कि केंद्र ने कीमतों को नियंत्रित करने के लिए मई में गेहूं के निर्यात (wheat exports) पर प्रतिबंध लगा दिया था.
इस साल अबतक पर गेहूं का औसत थोक मूल्य 22% बढ़ा. (File Photo)
इस साल अबतक पर गेहूं का औसत थोक मूल्य 22% बढ़ा. (File Photo)
Wheat prices: पूरे भारत में गेहूं का औसत थोक मूल्य नवंबर में 22% बढ़कर 2,721 रुपये प्रति क्विंटल हो गया. इस साल जनवरी में यह 2,228 रुपये प्रति क्विंटल था. सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली है. राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कृषि मंत्री (Agriculture Minister) नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, गेहूं सहित कृषि उपज की कीमतें बाजार में मांग और आपूर्ति की स्थिति, अंतरराष्ट्रीय कीमतों आदि से निर्धारित होती हैं.
कीमतों को कंट्रोल करने लिए गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध
आंकड़ों के अनुसार, गेहूं का ऑल इंडिया मासिक औसत थोक मूल्य जनवरी में 2,228 रुपये प्रति क्विंटल, फरवरी में 2,230 रुपये, मार्च में 2,339 रुपये, अप्रैल में 2,384 रुपये, मई में 2,352 रुपये, जून में 2,316 रुपये, जुलाई में 2,409 रुपये प्रति क्विंटल, अगस्त में 2,486 रुपये, सितंबर में 2,516 रुपये, अक्टूबर में 2,571 रुपये और नवंबर में 2,721 रुपये प्रति क्विंटल था. अक्टूबर और नवंबर की कीमतें अस्थायी हैं. केंद्र ने कीमतों को नियंत्रित करने के लिए मई में गेहूं के निर्यात (wheat exports) पर प्रतिबंध लगा दिया था.
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लू के चलते इन राज्यों में उत्पादन घटा
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मंत्री ने कहा, गेहूं का उत्पादन वर्ष 2020-21 में 10 करोड़ 95.9 लाख टन से घटकर 2021-22 में 10 करोड़ 68.4 लाख टन रह गया है और वर्ष 2021-22 में गेहूं की ऑल इंडिया यील्ड्स 3,521 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से घटकर वर्ष 2021-22 में 3,507 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रह गई है. इस गिरावट का कारण मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान जैसे प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में मार्च और अप्रैल, 2022 के दौरान लू का चलना था.
उन्होंने कहा कि वर्ष 2022-23 के रबी मार्केट सीजन (अप्रैल-जून) में गेहूं की खरीद वर्ष 2021-22 के 433.44 लाख टन के मुकाबले घटकर 187.92 लाख टन रह गई, क्योंकि इस अवधि के दौरान गेहूं का बाजार मूल्य न्यूनतम समर्थन मूल्य से कहीं अधिक था.
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10:31 PM IST